काव्य शब्दों का खेल; उसमें विकार ना हों : ‘अनंत’ काव्य संगीत कार्यक्रम में राजन लाखे के विचार

काव्य शब्दों का खेल; उसमें विकार ना हों
काव्य शब्दों का खेल; उसमें विकार ना हों

पुणे: जिंदगी के दर्द को बयां करने का माध्यम अगर कोई है, तो वह है कविता। शब्दों में संवेदनाएँ और भावनाएँ होती हैं, लेकिन जब शब्दों में विकार आ जाता है, तो कविता अपनी गरिमा खो देती है। यह विचार वरिष्ठ कवि एवं महाराष्ट्र साहित्य परिषद की चिंचवड़ शाखा के अध्यक्ष, राजन लाखे ने व्यक्त किए। मौका था ‘एमआईटी एडीटी’ विश्वविद्यालय में आयोजित ‘अनंत’ काव्य संगीत कार्यक्रम का, जहां उन्होंने कवि सम्मेलन में अपने विचार रखे।

राजन लाखे ने इस दौरान कहा कि, कविता, यथार्थता, कल्पना, और सामाजिक चेतना का मिश्रण होती है, लेकिन उसमें संतुलन होना चाहिए। कविता के माध्यम से जो ‘शब्द’ निकलते हैं, वे हमारी चेतना को व्यक्त करते हैं और यह शब्द हमें ‘अनंत’ बना देते हैं।

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इस अवसर पर ‘अनंत…अंतरनाद मनाचा’ नामक काव्य संकलन का विमोचन भी किया गया। इस संग्रह का संपादन वेंकटेश कल्याणकर ने किया है और इसे डॉ. राहुल ठाकरे के साथ सह-संपादित किया गया है। कार्यक्रम में प्रमुख अतिथियों में ग़ज़ल लेखक म. भा. चव्हाण, कुलपति डॉ. रामचंद्र पुजेरी, रजिष्ट्रार डॉ. महेश चोपड़े, डॉ. मुकेश शर्मा, डॉ. रजनीश कौर सचदेव-बेदी, डाॅ.श्रीकांत गुंजाळ सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

काव्य समारोह में प्रस्तुत कविताओं ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रो. अमोल अगाशे, प्रो. अमन कांबले, डॉ. उज्वल मिश्रा, प्रो. यशस्विनी पिसोलकर, डॉ. नंदकुमार शिंदे, प्रो. स्नेहल वानखड़े, डॉ. बालासाहेब वाकडे ने अपनी रचनाओं के माध्यम से दर्शकों के दिलों को छू लिया।

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कविता की विरासत: कराड परिवार की विशेषता

कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि म. भा. चव्हाण ने कराड परिवार की कविता की विरासत का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि प्रो. डॉ. विश्वनाथ कराड की पत्नी, स्वर्गीय उर्मिला ताई कराड, एक खूबसूरत कवयित्री थीं, जिन्होंने साहित्य प्रेम के चलते कई कविता संग्रह प्रकाशित किए और काव्य संगीत कार्यक्रमों का आयोजन किया। कराड परिवार की नई पीढ़ी अब इस विरासत को आगे बढ़ाने में गर्व महसूस कर रही है।

कार्यक्रम का समापन प्रार्थना के साथ हुआ, और सभी को दिल से धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

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